विशेष संवाददाता — शिमला
खुद को संगठन में उपेक्षित महसूस कर रहे आला नेताओं को कांग्रेस पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है। यह बड़ी जिम्मेदारी उनके लिए चुनौती भी है, क्योंकि इससे उनके राजनीतिक कद का भी पता चलेगा। कांग्रेस के पार्टी अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने इन नेताओं को जिम्मेदारी देने के साथ एक तीर से दो निशाने साधे हैं, जिसमें वह कितने सफल होंगे, यह आने वाला समय बताएगा। कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं सुक्खू, कौल सिंह व जीएस बाली को नगर निगम चुनावों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इन्हें अलग-अलग नगर निगमों में पर्यवेक्षक बनाया गया है और साथ ही स्थानीय स्तर पर चुनाव का पूरा प्लान तैयार करने और प्रत्याशियों तक को तय करने का अहम काम यही लोग करेंगे। देखना होगा कि इसमें ये नेता कितने कामयाब होते हैं। यह जिम्मेदारी खुद पार्टी के प्रभारी राजीव शुक्ला ने सौंपी है, जो चाहते हैं कि बड़े नेताओं को काम दिया जाए और रिजल्ट देखे जाएं। इससे नेताओं का विधानसभा चुनाव से पहले टेस्ट भी हो जाएगा। आने वाले दिनों में प्रदेश में पार्टी चिन्ह पर चुनाव होने तय हैं, जिसकी तैयारी सरकार ने कर ली है।
यहां धर्मशाला नगर निगम के साथ तीन नए बने नगर निगमों पालमपुर, सोलन और मंडी में भी चुनाव होना है। इसके लिए नेताओं को पर्यवेक्षक लगाया है और चार-चार नेताओं की टीम चारों क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार बनाई गई है।
धर्मशाला नगर निगम की जिम्मेदारी बतौर पर्यवेक्षक सुखविंद्र सिंह सुक्खू, कुलदीप कुमार, चंद्र कुमार और राजेश धर्माणी के पास रहेगी।
पालमपुर नगर निगम का जिम्मा कौल सिंह ठाकुर, रामलाल ठाकुर, इंद्रदत्त लखनपाल और जगत नेगी को सौंपा गया है।
सोलन नगर निगम के लिए यह जिम्मेदारी राजेंद्र राणा, हर्षवर्धन चौहान, मोहन लाल ब्राक्टा और केवल सिंह पठानिया देखेंगे।
मंडी नगर निगम की जिम्मेदारी जीएस बाली के साथ विक्रमादित्य सिंह, सुंदर ठाकुर और विनोद सुल्तानपुरी को दी गई है।
कुलदीप राठौर-मुकेश अग्निहोत्री बनाकर रखेंगे तालमेल
कांग्रेस के अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर के साथ विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री पर्यवेक्षकों के साथ तालमेल स्थापित करेंगे और इन्हें सहयोग करने के लिए महासचिव रजनीश किमटा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। कांग्रेस प्रभारी ने ये आदेश जारी किए हैं। इन आला नेताओं का जिम्मेदारी देने से कांग्रेस ने तय कर लिया है कि नगर निगम के चुनाव को वह हल्के में नहीं लेगी, बल्कि इसे बड़े पैमाने पर लड़ा जाएगा। अब भाजपा को भी रणनीति बदलनी पड़ सकती है।