शिकायत के 3 दिन बाद भी खैर माफिया वन विभाग की पकड़ से दूर, गार्ड की भूमिका पर उठे सवाल

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हिमखबर डेस्क 

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नूरपुर डिवीजन की ज्वाली रेंज के तहत पड़ती घडोली विट जंगल से हरे-भरे खैर के पेड़ों की अवैध कटाई ने वन विभाग और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

10 अप्रैल को सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गेश कटोच द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत के बावजूद अब तक न तो चोरों का सुराग मिला है और न ही अवैध कटान की पूरी सच्चाई सामने आई है।

हैरानी की बात ये है कि वन विभाग के अधिकारी मीडिया से बात करने से बच रहे हैं। गार्ड चरणजीत का फ़ोन उस समय नेटवर्क से बाहर रहता है जब खैर माफिया को लेकर सवाल किए जाने होते हैं।

ऐसे में गार्ड की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, क्यूंकी ब्लॉक ऑफिसर ने रविवार की छुट्टी का हवाला देकर बात खत्म करना चाहा, लेकिन गार्ड ने 9 कटे खैर का हिस्सा बिना नंबरिंग किए जब्त किया।

जब मिडिया ने इस मामले में बात करना चाही तो वह बहाने बनाते नजर आए और फिर फ़ोन स्विच ऑफ कर दिया। ऐसा करना कहीं न कहीं वन विभाग पर सवाल खड़े करता है।

क्या कहना है पुलिस का 

थाना प्रभारी रैहन अजेव सिंह ने कहा कि बचे हुए हिस्से वन विभाग द्वारा जब्त कर लिए गए हैं और पेड़ काटने वालों की तलाश जारी है।”

शिकायतकर्ता दुर्गेश कटोच का आरोप 

शिकायतकर्ता दुर्गेश कटोच ने वन विभाग पर आरोप लगाते हुए बताया कि जिन लकड़ियों को कब्जे में लिया गया था, उनमें से भी कई हिस्से अब गायब हैं और जो आज ब्लॉक ऑफिस रैहन में लकड़ी रखी गई है, उस पर कोई नंबर तक नहीं डाला गया है। क्या ऐसे सबूतों से जांच होगी या उन्हें छुपाने की कोशिश?”

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