काँगड़ा-राजीव जस्वाल
श्रावण अष्टमी मेले के पहले दिन मां बज्रेश्वरी के द्वार से श्रद्धालु मायूस होकर लौटे। यहां आए ज्यादातर श्रद्धालु न तो साथ में कोविड-19 टीकाकरण सर्टिफिकेट व न ही आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट लाए थे। सुबह से ही कई श्रद्धालुओं को बैरंग लौटना पड़ा। उन्हें मां के दर्शन नहीं करने दिए गए। बावजूद इसके मंदिर के बाहर लोग खड़े रहे, जिससे भीड़ लगी रही। मंदिर तक आने के बाद उन्हें बेरंग लौटाया गया। पंजाब के अमृतसर व लुधियाना सहित दिल्ली से आने वाले लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी।

श्रावण अष्टमी मेलों के पहले दिन ही यहां पहुंचे श्रद्धालु परेशान होकर घर लौटे। श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें जिला प्रशासन के इस फैसले की जानकारी नहीं है और कुछ लोग ऐसे हैं जो दो डोज लगा चुके हैं पर ज्यादा पढ़े लिखे न होने के कारण साथ में सर्टिफिकेट लेकर नहीं आए हैं। उन्हें यहां आकर परेशानी झेलनी पड़ी।
यह बोले श्रद्धालु
अमृतसर निवासी कुलदीप चंद ने कहा कि एक डोज लगी है दूसरी डोज लगनी है। जब घर से निकले तो ऐसे नियम के बारे में पता नहीं था। माथा टेकने दें, बड़ी दूर से आए हैं। प्रशासन गलत काम कर रहा है। प्रसाद लेकर इतनी दूर से आए हैं संगत आई है सब मायूस हैं।

मोगा निवासी अरुणदीप सिंह ने कहा कि अभी तक कोई डोज नहीं लगी है। टेस्ट करवाया है पर दो दिन के बाद रिपोर्ट आएगी। तो क्या करें। सुबह से ही सैकड़ों लोग बिना दर्शनों के लौटे हैं। दिल्ली निवासी मुकेश यहां चार लोगों के साथ आए हैं अभी तक कोविड-19 टीकाकरण नहीं हुआ है। दर्शन के लिए आए हैं अब दर्शन नहीं करने दे रहे हैं।
दिगविजय ने कहा वैक्सीन की एक डोज लगने का दस्तावेज भी है, जबकि दूसरी डोज उन्हें अभी साठ दिनों के बाद लगेगी। कुछ श्रद्धालुओं ने कहा एक डोज लग चुकी है दूसरी तो समय पर ही लगेगी। पहले से ही इस तरह की सूचना देनी चाहिए या फिर बार्डर पर ही रोक देते।
मंदिर ट्रस्ट के सदस्य ने यह कहा
मंदिर ट्रस्ट के सदस्य मनीश भल्ला ने कहा कि प्रशासन का गलत फैसला है। श्रद्धालु मंदिर से लौट रहे हैं। बार्डर पर ही रोक लें। मंदिरों में ही कोरोना फैलेेगा, यह ढाबे में जाएंगे बसों में जाएंगे यह सब मजाक बनाया है। धार्मिक पर्यटन से यहां पर दुकानदारों, ढाबा वालों की दुकानदारी चलती है। प्रशासन यहां पर व्यवस्था नहीं बना सका। दुकानदारों की दयनीय हालत है। बाहर से आए श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है। इस बारे में प्रशासन को गंभीरता से सोच लेना चाहिए। श्रद्धालु रोकने ही हैं तो बार्डर पर रोकें।

