बजट सत्र में नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता का वायदा पूरा करे सरकार

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शिमला- जसपाल ठाकुर

हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन ने मांग की है कि सरकार भर्ती एवम पदोन्नति नियमों के अंतर्गत नियुक्त कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता देने के वायदे को पूरा करे। भाजपा ने चुनावों से पूर्व अनुबंध नियमित कर्मचारियों से सेनिओरिटी का जो वायदा किया था, उसे चार साल बीत जाने पर भी पूरा नही किया है।

चुनावों से पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने सत्ता में आते ही सेनिओरिटी कि मांग को पूरा करने का वायदा किया था,लेकिन अवसोस की बात है कि सत्तासीन होने पर भाजपा को अपना वायदा याद नही रहा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष इस मांग को 50 से अधिक बार उठाया जा चुका है। मुख्यमंत्री खुद भी कह चुके हैं कि आपकी यह मांग जायज है। जेसीसी की बैठक में भी इस मांग पर कमेटी गठन की बात कही गयी,लेकिन उसपर भी कोई कमेटी नही बनी।

संगठन के पदाधिकारियों के अनुसार 2008 में पहली बार तत्कालीन भाजपा सरकार ने लोक सेवा आयोग,अधीनस्थ चयन बोर्ड द्वारा भर्ती एवम पदोनित नियमों के अंतर्गत नियुक्त कर्मचारियों को अनुबंध आधार पर नियुक्त किया।निश्चित वैधानिक प्रक्रिया को पूरा करने के बाद भी कमिशन पास कर्मचारियों को प्रदेश के इतिहास का सबसे लंबा अनुबन्धकाल दिया गया। उसके बाद आई सरकारों ने अनुबंध अबधि को कम किया लेकिन कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से अपना कर्मचारी नही माना।

सरकार कर्मचारी के सेवा की गणना उनके नियमितीकरण से कर रही है,नाकि उनकी प्रथम नियुक्ति से।यह लोकसेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा बोर्ड जैसी संबैधानिक संस्थाओं की मान्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाने जैसा है। कमीशन और बैच के आधार पर नियुक्त यह कर्मचारी सभी नियमों और सेवा शर्तों को पूरा करके नियुक्त हुए हैं। इसलिए इनकी सर्विसेज को प्रोमोशन और अन्य सेवा लाभों के लिए नियुक्ति की तिथि से गिना जाए,नाकि नियमितीकरण की तिथि से।

पूर्व में भी सरकार ने एडहॉक और टेन्योर बेसिस पर नियुक्त कर्मचारियों की सेवाओं को प्रोमोशन के लिए योग्य माना है तो अनुबंध पर दी गई सेवाओं को क्यों योग्य नही माना जा रहा? नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता ना मिलने से जूनियर कर्मचारी सीनियर होते जा रहे हैं। कर्मचारियों ने कहा कि उनका चयन भर्ती एवम पदोनती नियमों के अनुसार हुआ है इसलिए उनके अनुबंध की सेवा को उनके कुलसेवाकाल में जोड़ा जाना तर्कसंगत है।

जब हम पूरे नियमों के अंतर्गत नियुक्त हुए हैं तो सरकार हमे पहले दिन से सरकारी कर्मचारी माने नाकि नियमितीकरण की तिथि से।यह प्रदेश के 70 हजार कर्मचारियों के मान सम्मान से जुड़ा विषय है।सरकार जल्द इस मांग को पूरा करे।
कर्मचारियों का कहना है कि क्या उन्होने कंमिशन पास करके कोई गुनाह किया है जिसकी सजा उनको मिल रही है।
पहले तो आधी से कम सैलरी पर काम किया,2012 का पे रिविज़न का लाभ भी नही दिया और अब उनकी सेवा की गणना भी नियुक्ति की तिथि से नही की जा रही है।

हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुनीष गर्ग, प्रदेश महासचिव अनिल सेन, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय कुमार, प्रदेश प्रवक्ता विजय राणा सचिव सुशील चंदेल ,मोहन ठाकुर, प्रेस सचिव विजय राणा,राकेश चौहान, प्रेमपाल पठानिया, आईटी सेल हेड संदीप चंदेल,जिला कांगड़ा अध्यक्ष सुनील पराशर,हमीरपुर जिलाध्यक्ष डॉ सुरेश कुमार,चम्बा जिलाध्यक्ष राजेंदर पॉल,मंडी जिला अध्यक्ष कृष्ण यादव,ऊना जिलाध्यक्ष संजीव बग्गा ,शिमला जिलाध्यक्ष नंद लाल ने सामुहिक रूप से मांग की है कि सरकार बजट सत्र के दौरान अनुबंध नियमित कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्टता की घोषणा करे।

इसके साथ ही वेतन आयोग हैं भी अनुबंध से नियमित कर्मचारियों को ही सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।पंजाब में लागू वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार जहाँ लेक्चरर का इनिसिशनल 47000 है बहीं हिमाचल में लेक्चरर को 43000 पर फिक्स किया गया है ।

इसी तरह पंजाब में टीजीटी को 41600 पर फिक्स किया गया है जबकि हिमाचल में टीजीटी को केवल 38100 के इनिसिशनल पर फिक्स किआ गया है। कर्मचारियों की मांग है कि हिमाचल में पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू किया जाए।आखिर हर बार अनुबंध कर्मचारी ही नुकसान की जद में क्यों आएं?

कर्मचारियों का कहना है कि अनुबंध नियमित कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग की विसंगतियां तब तक दूर नही होंगी जब तक कर्मचारियों को 2012 के पे रिविज़न के साथ, 2016 और उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों को पंजाब वेतन आयोग के बराबर लाभ नहीं मिलते।

इसके साथ सरकार के पास एक अच्छा मौका है सेनियोरोटी की मांग को पूरा करने का, क्योंकि अनुबंध कर्मचारियों को अगर सरकार को सेनिओरिटी के नोशनल बेनिफिट्स भी देने पड़ते हैं तो भी नए पे कॉमिशन के कारण फिर भी उनकी सैलरी इनिशियल तक ही पहुंचेगी। क्योंकि ज्यादातर कर्मचारी 2016 के बाद ही नियमित हुए हैं और इस तरह सरकार को फाइनेंस का बोझ भी नही पड़ेगा और सेनियोरोटी भी दी जा सकेगी।

इस तरह एक साथ प्रदेश के कर्मचारियों की दो बड़ी मांगो का एक साथ समाधान किया जा सकता है। अगर सरकार ने शीघ्र कर्मचारियों की सेनिओरिटी और इनिसिशनल कि मांग का समाधान नहीं किया तो कर्मचारी शिमला में बजट सत्र के दौरान धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।

सरकार को चाहिए कि कर्मचारियों की जायज मांगो का समय रहते समाधान करे ताकि कर्मचारियों को धरने,प्रदर्शन कीजरूरत ना पड़े। सरकार बजट सत्र में प्रदेश के 70 हजार कर्मचारियों की मांग को पूरा करे।

मुनीष गर्ग अनिल सेन
प्रदेश अध्यक्ष महासचिव
हिमाचल अनुवंध नियमित कर्मचारी संगठन
9816142350

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