पठानकोट के टैंक चौंक को ‘पराक्रम स्थल” के रूप में सेना ने दिया नया नाम

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जोश, शौर्य व पराक्रम का प्रतीक भारतीय सैनिक की प्रतिमा का सब एरिया कमांडर ने किया अनावरण

1 जुलाई पठानकोट – भुपिंद्र सिंह राजू

भारतीय सेना के राइजिंग स्टार सब एरिया ने अपने 60वें स्थापना दिवस को डायमंड जुबली के रूप में मनाते हुए स्थानीय टैंक चौंक को पराक्रम स्थल का नया नाम दिया।

आज के बाद यह चौंक पराक्रम स्थल के नाम से जाना जाएगा। इस अवसर पर 21 सब एरिया कमांडर ब्रिगेडियर संदीप एस शारदा एस.एम, वी . एस . एम ने विशेष तौर पर शामिल होकर इस चौंक के पास बने पराक्रम स्थल जहां भारतीय सेना के जोश, शौर्य , बलिदान व पराक्रम का प्रतीक आक्रमण करते हुए सैनिक की 10 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया।

तथा सब एरिया कमांडर, सैन्य अधिकारियों, जवानों व शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इस सैनिक की प्रतिमा के साथ-साथ पराक्रम स्थल पर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर नायकों को भी अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके अलावा सेना के जवानों ने शस्त्र उल्टे कर बिगुल की गौरवशाली धुन के साथ सेना के शौर्य तथा अमर वीरों के बलिदान को सलामी दी।

यह पराक्रम स्थल भारतीय सेना के जवानों के अदम्य साहस और राष्ट्र के लिए उनकी निस्वार्थ सेवा का स्मरण कराता है।

राइजिंग स्टार सब एरिया के 60वें स्थापना दिवस पर डायमंड जुबली द्वार भी पठानकोट के लोगों को समर्पित किया गया।

डायमंड जुबली समारोह के अवसर पर टैंक चौक जिसका नामकरण अब पराक्रम स्थल के रूप में हो चुका है के परिसर को एक नया रूप देकर चका चौंद कर दिया गया है।

सिविल प्रशासन के अधिकारियों व शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने पूरे टैंक चौक परिसर को नया रूप देने और भारतीय सशस्त्र बलों के वीर शहीदो के स्मारक स्वरूप पठानकोट में पराक्रम स्थल को एक नया गंतव्य बनाने के लिए 21 सब एरिया के प्रयासों की सराहना की।

इस विशेष अवसर पर, कमांडर ने सब एरिया के सभी रैंकों को उनके उत्कृष्ट नेतृत्व, साहस और बलिदान से भारतीय सेना और राष्ट्र को गौरवान्वित करने के लिए बधाई दी और भविष्य में भी इसी प्रकार अपने राष्ट्र की अखंडता की रक्षा करने और नई चुनौतियों का दृढ़ता और साहस के साथ सामना करने व खुद को समर्पित करने के लिए प्रेरित किया।

उल्लेख रहे की 21 सब एरिया भारतीय सेना का सबसे पुराना सैन्य मुख्यालय है, जिसे तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में तैनात सैनिकों को रसद सहायता प्रदान करने के लिए चीन-भारत युद्ध से ठीक पहले 01 जुलाई 1962 को स्थापित किया गया था।

इस अवसर पर सब एरिया कमांडर ने पराक्रम स्थल पर लगी सैनिक की प्रतिमा को बनाने वाले पठानकोट के मूर्तिकार जोगिंदर पाल को सब एरिया की तरफ से मेडल भेंट कर सम्मानित किया।

सेना ने टैंक चौंक को पराक्रम स्थल का नाम देकर बढ़ाया जिले का गौरव-कुंवर विक्की

इस अवसर पर कार्यक्रम में विशेष तौर पर पहुंचे शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महाससिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने सब एरिया कमांडर व उनकी पूरी टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पठानकोट जिसे शहीदों की जन्मस्थली कहा जाता है तथा इस क्षेत्र ने अपने असंख्य लाल देश की बलिवेदी पर कुर्बान किए हैं,

इस चौंक पर जो टैंक लगा है वो भी 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना के वीर जवानों ने पाक सेना को हर क्षेत्र में धूल चटाते हुए छीना था। तथा इस टैंक को देखकर हर क्षेत्रवासी अपनी सेना के शौर्य को सैल्यूट करता है।

उन्होंने कहा कि वर्षो से लोग इस चौंक को टैंक चौंक के नाम से जानते हैं, इस चौंक के पास ही शहीदों की प्रतिमाएं लगी हैं, उन्हीं रणबांकुरों के बलिदान की गरिमा को बहाल रखते हुए सब एरिया ने आज इस चौंक को पराक्रम स्थल का नया नाम देकर सही मायनों में इन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जिले के गौरव को बढ़ाया है।

इसके लिए वह सब एरिया कमांडर का आभार व्यक्त करते हैं तथा समूह क्षेत्र निवासियों से यह अपील करते हैं की आज के बाद इस चौंक को पराक्रम स्थल के रूप में जाने।

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