नया अध्याय: हिमाचल में पहली रोबोटिक सर्जरी 7 अगस्त को, आठ की जगह लगेंगे तीन घंटे

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शिमला – नितिश पठानियां

हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में 7 अगस्त को नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। अटल सुपर स्पेशलिटी आयुर्विज्ञान संस्थान चमियाना में प्रदेश में पहली रोबोटिक सर्जरी की जाएगी। अत्याधुनिक ‘द विंची ’ रोबोटिक सिस्टम के माध्यम से यूरोलॉजी विभाग प्रोस्टेट स्टोन का ऑपरेशन करेगा।

इस ऑपरेशन की कमान विभागाध्यक्ष डॉ. पंपोष रैना और डॉ. अनंत कुमार संभालेंगे। सोमवार शाम को मरीज को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया है। डॉक्टरों के अनुसार इस तकनीक से न केवल ऑपरेशन का समय घटेगा, बल्कि मरीजों को कम दर्द, कम रक्तस्राव, कम संक्रमण और जल्दी रिकवरी जैसे लाभ मिलेंगे।

आमतौर पर जिन ऑपरेशनों में आठ घंटे तक का समय लगता है, अब सिर्फ तीन घंटे में हो सकेंगे। ऑपरेशन के बाद अस्पताल में रुकने की अवधि भी काफी घट जाएगी। फिलहाल इससे पथरी के ऑपरेशन शुरू किए गए हैं, लेकिन भविष्य में यह तकनीक खासतौर पर प्रोस्टेट, ट्यूमर, यूरोलॉजिकल और गाइनो सर्जरी में बहुत उपयोगी मानी जा रही है।

तीन हिस्सों में बंटा है सिस्टम

द विंची 11 रोबोटिक सर्जरी सिस्टम चिकित्सा क्षेत्र की सबसे उन्नत और सटीक तकनीकों में से एक मानी जाती है। यह सिस्टम कुल तीन मुख्य हिस्सों में विभाजित होता है, पेशेंट कार्ट, विजन कार्ट और सर्जिकल कंसोल। पेशेंट कार्ट में चार रोबोटिक बाजू होते हैं, जिनमें से तीन में माइक्रो-सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स और एक में एंडोस्कोपिक कैमरा होता है।

ये ऑपरेशन के दौरान शरीर के भीतर बेहद सूक्ष्म और सटीक गति से कार्य करते हैं, जो सामान्य इंसानी हाथों से संभव नहीं होता। इन बाजुओं की हरकत डॉक्टर के नियंत्रण में होती है और यह त्वचा पर बेहद छोटे घाव के माध्यम से अंदर काम करते हैं, जिससे मरीज को कम दर्द और तेज रिकवरी मिलती है। विजन कार्ट डॉक्टर को ऑपरेशन क्षेत्र का 3डी और 10 गुना जूम किया हुआ दृश्य प्रदान करता है।

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है सर्जिकल कंसोल, जो ऑपरेशन रूम में स्थापित होता है और डॉक्टर इसी कंसोल पर बैठकर जॉयस्टिक और फुट पैडल की मदद से पूरे रोबोटिक सिस्टम को नियंत्रित करता है। कंसोल सिस्टम तब तक सक्रिय नहीं होता, जब तक कोई डॉक्टर इसे संचालित न करे। इस सिस्टम की एक खास बात यह है कि इसमें सहायक डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती। सर्जन स्वयं ही सभी इंस्ट्रूमेंट्स और कैमरे को नियंत्रित करता है, जिससे कम स्टाफ में भी जटिल सर्जरी संभव हो पाती है।

डॉ. रैना बोले-अब हमारे पास होंगे चार हाथ

यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. पंपोष रैना इस ऑपरेशन का नेतृत्व करेंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि डॉक्टर के लिए एक और जोड़ी हाथों जैसा है। पारंपरिक सर्जरी में हमारे पास दो हाथ होते हैं और एक अतिरिक्त सहायक की आवश्यकता होती है, लेकिन अब रोबोटिक सिस्टम के जरिये हम खुद ही चार हाथों को नियंत्रित कर सकते हैं।

इससे न केवल सर्जरी अधिक सटीक होती है, बल्कि जटिलताओं की संभावना भी बहुत कम हो जाती है। जहां पारंपरिक प्रोस्टेट सर्जरी में लगभग 1 लीटर तक रक्तस्राव होता है, वहीं रोबोटिक सर्जरी में यह मात्र 50 मिलीलीटर तक सीमित रहता है।

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