मुंगराबादशाहपुर, अनिल विश्वकर्मा
लखनऊ में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया डी-11 गैंग के बदमाश गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ कन्हैया उर्फ डॉक्टर उर्फ टग्गर ने शराब ठेकों के सहारे अकूत पैसे कमाए थे। मऊ, आजमगढ़ और जौनपुर में कई ऐसे शराब ठेके हैं जो आज भी गिरधारी के इशारे पर उसके लोग संचालित करते हैं और उसे हर माह पैसा देते थे। शराब ठेकों के सहारे गिरधारी की अकूत कमाई का खुलासा वर्ष 2010 में मऊ में शराब व्यवसायी सुनील सिंह की हत्या के बाद हुआ था।
मऊ के शहर कोतवाली क्षेत्र के बुनाई विद्यालय के पास नौ मार्च 2010 को शराब व्यवसायी सुनील सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वारदात के समय सुनील मोटरसाइकिल से बहरीपुर स्थित अपने घर जा रहे थे। हत्या के पीछे मुहम्मदाबाद स्थित शराब के ठेके को छुड़वाने की बात थी।
इस वारदात में वाराणसी के चोलापुर थाना क्षेत्र के लखनपुर निवासी गिरधारी और मऊ व आजमगढ़ के कुछ अन्य लोगों का नाम सामने आया था। इस वारदात को लेकर गिरधारी पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। उन दिनों 50 हजार रुपये का इनाम किसी अपराधी पर घोषित होना बहुत बड़ी बात हुआ करती थी। इनाम की राशि बताती थी अपराधी कितना कुख्यात है।
पुलिस सूत्र के अनुसार, सुनील सिंह की हत्या के बाद आजमगढ़ मंडल के तीन जिलों आजमगढ़, मऊ और बलिया के साथ ही जौनपुर व वाराणसी के चोलापुर क्षेत्र के शराब कारोबारी गिरधारी से खौफ खाते थे। वह जिस दुकान को कहता था, उसे शराब कारोबारी छोड़ देते थे और फिर गिरधारी के लोग उसे संचालित कर हर महीने उसे मुनाफे में एक निर्धारित हिस्सा देते थे। शराब ठेकों से हुई कमाई की बदौलत ही गिरधारी लखनपुर के अलावा मऊ, लखनऊ, दिल्ली और मुंबई में घर बनवा रखा था।
*झारखंड और मुंबई की वारदात की जानकारी नहीं है पुलिस के पास*
पुलिस डोजियर के अनुसार, पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से लेकर लखनऊ तक सात लोगों की हत्या में गिरधारी का नाम आया। हालांकि इसके अलावा झारखंड और मुंबई में भी उसने भाड़े पर कई हत्या की थी लेकिन कभी उसका नाम सामने नहीं आया। रेकी कर सुनियोजित तरीके से अत्याधुनिक असलहों से हत्या करने के लिए कुख्यात गिरधारी के गिरोह की कमान कौन संभालेगा, आगामी दिनों में यह देखने लायक बात होगी।
*गिरधारी की मौत से पूर्वांचल के कई सफेदपोशों को मिला सुकून*
शॉर्प शूटर गिरधारी की मौत से पूर्वांचल के एक पूर्व बाहुबली सांसद के अलावा चंदौली, जौनपुर, मऊ और आजमगढ़ के कई सफेदपोशों को सुकून मिला है। सभी डरे हुए थे कि पुलिस की पूछताछ में अजीत और नितेश हत्याकांड में उनकी संलिप्तता की बात न सामने आ जाए। हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि गिरधारी तीन दिन की कस्टडी रिमांड पर था। मुठभेड़ में मारे जाने से पहले अजीत और नितेश हत्याकांड से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां पूछताछ में उससे मिली थी। उन जानकारियों के जरिये पुलिस नए सिरे से तफ्तीश कर रही है।