शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से 12 छात्रों को बिना कारण बताओ नोटिस जारी कर निष्कासित करने का मामला तूल पकड़ गया है। एसएफआई ने इसको लेकर विवि में धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान विवि प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। एसएफआई ने प्रशासन को इन छात्रों के निष्कासन को तुरंत वापिस लेने की मांग की है।
एसएफआई ने आरोप लगाया कि बिना कारण बताओ नोटिस जारी किए निष्कासन नहीं किया जा सकता। एसएफआई इकाई सचिव सन्नी सेक्टा ने आरोप लगाया कि विवि प्रशासन का यह फैंसला राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंसा वाले दिन की वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई। इस हिंसा का मुख्य कारण विश्वविद्यालय सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही है।
विश्वविद्यालय प्रशासन केवल एक विशेष छात्र संगठन के नेताओं को परेशान करने की कोशिश कर रहा है। विश्वविद्यालय राज्य में शैक्षणिक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। केंद्र सरकार की छात्र विरोधी नीतियों का विरोध कर रहे हैं। एसएफआई की मांगों को भटकाने के लिए बाहर से अपने गुंडों को हथियारों और लाठियों के साथ बुलाया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन की मदद से सारी घटनाएं घट रही है। बाहरी से आए लोग विश्वविद्यालय में गुंडागर्दी कर रहे हैं और हिंसा फैला रहे हैं। पुलिस की मौजूदगी में लाठियों से लदी एक गाड़ी विश्वविद्यालय परिसर में घुसी।
सरकार निर्दोष छात्र नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित करने का दबाव बना रही है। विश्वविद्यालय परिसर में पुस्तकालय के सामने धारदार हथियारों के साथ उत्पात मचाया था। एसएफआई न केवल विश्वविद्यालय परिसर और आसपास के कॉलेजों में उत्पात मचाने वाले गुंडों के खिलाफ अभियान जारी रखेगी।
एसएफआई छात्रों को प्रताड़ित करने के लिए विभिन्न विभागों से छात्रों का रिकॉर्ड एकत्र करने के लिए एचपीयू प्रशासन की आलोचना कर रही है। उसे आशंका है कि वे एक तरफा निर्णय ले सकते हैं। इसका एसएफआई प्रदेशव्यापी आंदोलन चलाकर करारा जवाब देगी।
एसएफआई ने प्रो-वाइस-चांसलर राजिंदर वर्मा को चेतावनी दी है कि वे इस तरह के एक तरफा फैंसले न लें। उन्होंने कहा कि कई कांग्रेस शिक्षक नियमित रूप से एसएफआई के संपर्क कर रहे हैं। जिनके पास इसके ठोस सबूत है कि एचपीयू में उच्च पद के लिए क्या जोड़तोड़ किया जा रहा है।

