हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री कर्मचारी विरोधी-ठाकुर सुरिंद्र मनकोटिया

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प्रागपुर- आशीष कुमार

ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष जसवा परागपुर ठाकुर सुरिंद्र मनकोटिया ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री कर्मचारी विरोधी हैं। इनको 4 साल सत्ता पर राज करते हो गए पर कर्मचारियों को फूटी कौड़ी भी नहीं दी। 4 साल में कर्मचारियों के साथ एक भी जेसीसी बैठक नहीं हुई।

मुख्यमंत्री ने महासंघ से मिलीभगत करके ऐसा एजेंडा तैयार करवाया जो कर्मचारियों के हित में नहीं है। जरूरी मांगों को पीछे कर दिया और ऐसी मांगों को आगे कर दिया जिनको देने के लिए सरकार वैसे ही बाध्य है और देनी ही पड़ेंगी। सरकार ने अपने मेनिफेस्टो में किए गए वायदे को भी पूरा नहीं किया। सरकार ने निम्न लाभ अभी तक भी हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को नहीं दिए:-

ओल्ड पैंशन स्कीम लागू नहीं की।

आऊट सोर्स कर्मचारियों के लिए कोई पालिसी अभी तक नहीं बनाई।

अनुबंध अवधि को 3 साल से घटाकर 2 साल नहीं किया।

कंम्पयूटर टीचर, जिनको 20-20 साल नौकरी करते हुए हो गए पर उनको नियमित कर्मचारी बनाने के लिए कोई पालिसी नहीं बनाई।

एसएमसी अध्यापकों के लिए कोई पालिसी नहीं बनाई, जबकि वे नियमित अध्यापकों के बराबर अध्यापन कार्य करते हैं।

विभिन्न श्रेणी के विभिन्न अध्यापकों की मुख्य मांगें मुंह वाए खड़ी हैं, उन तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं है।

50000 से ऊपर सरकार में खाली पद पड़े हुए हैं सरकार उनको भर नहीं रही है जबकि हिमाचल में 14 लाख बेरोजगारों की फौज नौकरी के लिए दर-दर भटक रही है।

जिन बच्चों के माता या पिता मृत्यु का ग्रास बन चुके हैं वे आज सड़कों पर घुम रहे हैं, 3 महीने से हड़ताल पर बैठे हैं, उनको करूणामूलक आधार पर नौकरी देने की वजाए, उनको बदहाल छोड़ा हुआ है।

कोरोना काल में सबसे ज्यादा और रिस्की काम करने वाली आशा वर्करज़ के लिए न तो कोई पालिसी नहीं बनाई और न ही प्रोत्साहन राशि बढ़ाई, जबकि काम के हिसाव से उनका वेतन 10000 रूपए से ऊपर प्रति माह होना चाहिए।

आंगनवाडी कार्यकर्ता और सहायिका की मांगों को दरकिनार किया जा रहा है।

स्कूल में मिड डे मील बनाने वाली वर्कर्ज को अपने पास ही दो जून की रोटी खाने के लिए मील नहीं है।

इस सरकार ने कर्मचारियों का 4 साल में एक भी भत्ता नहीं बढ़ाया।

इतना कुछ होने पर भी सरकार संवेदनशील नहीं है।

सरकार ने तथाकथित महासंघ से मिलीभगत करके ऐसा एजेंडा तैयार करवाया जो कर्मचारियों के लिए घातक है।

छठा पे कमीशन देने की मांग पहले नम्बर पर रखवा दी जो सरकार को देनी ही है और जिनमें कर्मचारियों को बड़ा फायदा होने वाला नहीं है क्योंकि जिसमें 21 प्रतिशत के 5 आईआर(जिनमें 2 आईआर पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह जी अगस्त,2016 और अगस्त 2017 में पहले ही दे चुके थे) दिए जा चुके हैं।

दुसरे नम्बर पर मई 2009 की नोटिफिकेशन की मांग को जोड़कर , ओल्ड पैंशन स्कीम की मांग को कमजोर कर दिया। यह नोटिफिकेशन तो होनी ही है क्योंकि केन्द्र और दुसरी राज्य सरकारें इसको नोटिफाई कर चुकी हैं। हिमाचल सरकार इस मांग को मानकर ओल्ड पैंशन स्कीम से पल्ला झाड़ लेगी।

हैरानी वाली बात यह है कि आउट सोर्स कर्मचारियों वाली मांग को जानबूझ कर आखरी 26 नम्बर पर रखवाया ताकि इस महत्वपूर्ण मांग पर ध्यानपुर्वक चर्चा ही न हो।

अत:यह सरकार कर्मचारी हितैषी नहीं है, उत्पीड़न करने वाली सरकार साबित हुई है।

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