व्यूरो- रिपोर्ट
दार्शनिक, लेखक, प्रशासक, और निरंकारी सिद्धान्तवेत्ता, 80 वर्षीय श्री निरंजन सिंह का आज यहां निधन हो गया। वे अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी जोगिंदर कौर, संत निरंकारी मंडल के केंद्रीय योजना और सलाहकार बोर्ड की सदस्य और तीन विवाहित पुत्रों को छोड़ गए हैं। पूर्व वरिष्ठ प्रशासक निरंजन सिंह द्वारा रचित पुस्तक जैसे ‘पदार्थ और गैर-पदार्थ’, “आध्यात्मिकता की मुख्यधारा” और ‘विज्ञान के युग में विश्वास’ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है।
3 अक्टूबर 1941 को हरनामपुर, जिला लुधियाना, (पंजाब) में जन्मे, श्री निरंजन सिंह ने गवर्नमेंट कॉलेज लुधियाना से एम.ए.अंग्रेजी विषय मे हासिल की। ततपश्चात 1966 में आईएएस, पंजाब कैडर के रूप में योग्यता प्राप्त की। वह 2001 में आयुक्त रैंक से पंजाब सरकार से सेवानिवृत्त हुए।
बाद में, उन्हें पंजाब राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1964 में निरंकारी मिशन से जुड़कर श्री निरंजन सिंह ने एक अनुयायी के रूप में अपनी भूमिका के दौरान ईश्वर-प्राप्ति के आधुनिक-वैज्ञानिक अभिविन्यास पर प्रकाश डाला।
निरंजन सिंह को मिशन में एक अनुकरणीय रोल-मॉडल के रूप में सराहा गया। उन्हें एक वरिष्ठ उपदेशक के तौर पर आने वाली पीढ़ियों द्वारा याद किया जाएगा और एक भरोसेमंद भक्त के रूप में वर्णित किया जाएगा।
शनिवार को दोपहर 12.30 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर 25 स्थित श्मशान घाट में श्री निरंजन सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर सुबह 10:30 बजे अंतिम दर्शन के लिए सेक्टर 15 डी स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में रखा जाएगा।