चम्बा – भूषण गुरूंग
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कि राज्य सरकार 1999 की पेंशन योजना को निरस्त कर सकती है और कर्मचारियों द्वारा माननीय कोर्ट में डाली गई याचिका ग़लत है एक बहुत ही पीड़ादायक निर्णय और कर्मचारियों के बुढ़ापे में कफ़न में कील ठोंकने जैसा फैसला है।
डाक्टर संजीव गुलेरीया प्रदेश अध्यक्ष न्यु पेंशन स्कीम दस वर्ष से कम नियमित सेवाकाल रिटायर्ड कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने आज यहां प्रैस वार्ता में कहा कि अगर हिमाचल प्रदेश में सुख की सरकार 1,36,000 हजार कर्मचारियों अधिकारियों को ओपीएस यानी कि पुरानी पेंशन योजना लागू कर के उन्हें लाभ दे सकती है, तो कार्पोरेशन से रिटायर्ड केवल 7 हजार कर्मचारियों को और 10 वर्ष से कम सेवाकाल वाले चंद रिटायर्ड कर्मचारीयों को सम्मान जनक पेंशन क्यों नहीं दे सकती ??
डाक्टर संजीव गुलेरीया ने कहा कि राज्य सरकार का यह कहना कि 11,500 करोड़ रुपए से अधिक का वित्तीय बोझ पड़ेगा तो इसके लिए सरकार की नाकामयाबी और ग़लत नीतियां जिम्मेदार हैं, इस में कर्मचारियों का कोई दोष नहीं है, आर्थिक संकट का रोना रोकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती।
डाक्टर संजीव गुलेरीया ने कहा कि कांग्रेस सरकार सत्ता में आई ही इस घोषणा से कि सभी कर्मचारियों को बुढापे का सहारा पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने के नाम पर सत्तारूढ़ हुई है।
चुनाव से पहले इन के नेता देवी-देवताओं की कसमें खाते थे कि हम सत्ता में आने पर पढ़े-लिखे युवाओं को सरकारी सेवा में रोज़गार और सभी कर्मचारियों को बुढापे का सहारा पुरानी पेंशन देंगे लेकिन अब यह भेदभाव क्यों ??