बालद नदी में दस करोड़ की लागत से लगे डंगे को किया छलनी, बालद नदी में अवैध खनन के चलते फिर दिखाया रौद्र रूप।
रजनीश ठाकुर – बद्दी
बददी बरोटीवाला मार्ग पर बालद नदी ने फिर अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया। अभी 2023 आपदा के जख्म भरे नही कि आज तड़के नदी में आये पानी के रौद्र रूप ने दस करोड़ की लागत से लगे डंगे को छलनी कर दिया।
गौरतलब है कि 2023 में आई आपदा ने यहां इस नदी ने करोड़ो की संपति को नुकसान पहुंचाया था। जिसके चलते एक बड़ा उद्योग लोरियल कंपनी की दूरी भी मात्र दस मीटर रह गयी थी जिसके चलते कंपनी ने करीब दस करोड़ की लागत से नदी किनारे डंगे का निर्माण करवाया था।
निर्माण कार्य 2024मे पूरा हुआ था। जिसके चलते इस बरसात में अभी तीसरी बार पानी आया था जो कि आज सुबह इस डंगे की सीमेंट कंकरीट से बनाई नीवं को बहा ले गया। यह कंकरीट करीब 200 मीटर लंबी थी और दो मीटर इसे धरती में बनाया था। इसका अधिकांश हिस्सा बह गया।
इस डंगे का शुरू से ही इसका खतरा था। अब इसके बह जाने से इस डंगे का भारी नुकसान हुआ और अब नींव के बह जाने से आसपास के क्षेत्र में फिर खतरा मंडराने लगा है यही नही कोटला से आने वाले नाला जो इसी नदी में मिलता है।
इस नाले में एक दवा कंपनी के पीछे भी डंगा धंस गया। जिससे अब कंपनियों भी खतरे में आ गई। गांववासियों द्वारा बनाया गया शमशान घाट,ट्रक पार्किंग फिर खतरे की जद में आ गए। आज बालद नदी दोपहर तक पूरे उफान पर रही। और डंगे का कुछ हिस्सा दोपहर में बह गया।
ध्वस्त डंगे से खनन माफिया ने सौ मीटर पर हुई थी फायरिंग
बालद नदी का रौद्र रूप पिछले कई सालों से जहां अपना रौद्र रूप दिखाने में चर्चित रही एक दशक में दो या तीन बार तबाही मचाती है वही अब यह अवैध खनन के लिए पूरे बी.बी.एन. में चर्चित है।
कुछ दिन पहले यहां पर इस डंगे के पास खनन माफिया ने फायरिंग भी की थी। क्योँकि एक कंपनी के साथ लगती इस बालद नदी में रात्रि में अवैध खनन हो रहा था तो कंपनी के मालिक ने रोकना चाहा तो माफिया ने फायरिंग की थी।
उससे पहले फरवरी माह में भी नदी किनारे निजी भूमि को समतल करने के नाम पर इस माफिया ने अपनी भूमि के साथ साथ सरकारी भूमि को भी निशाना बनाया था।
जिसे ग्रामीणों ने रोका था बॉक्स अगस्त 2023 में एक दर्जन उद्योग को इस नदी के रौद्र रूप के चलते करोड़ो का नुकसानऔर करीब पचास लाख की लागत से बने क्षेत्र के सबसे सुंदर शमशान घाट भी इस नदी की भेंट चढ़ गया था।
और इस बहुराष्ट्रोय कंपनी की दूरी मात्र दस मीटर रह गयी थी। फिर कंपनी ने यह दस करोड़ की लागत से यह डंगा लगा लगवाया था जिसे आज इस नदी ने अवैध खनन के चलते लील लिया