धर्मशाला में हाई कोर्ट सर्किट बेंच पर अपनी मंशा स्पष्ट करें मुख्यमंत्री: विश्व चक्षु

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हिमखबर डेस्क 

धर्मशाला में हाई कोर्ट की सर्किट बैंच खोलने की मांग पर सरकार की मनाही पर वकीलों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ अपने तेवर कड़े कर लिए हैं।

वकीलों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से वे अपनी मांग उठा रहे हैं, लेकिन इसे माना नहीं जा रहा।‌धर्मशाला बार एसोसिएशन के सदस्य एडवोकेट विश्व चक्षु ने शनिवार को कहा कि सरकार नहीं चाहती कि लोगों को घर के पास कानूनी न्याय मिल सके।

धर्मशाला में हाई कोर्ट की सर्किट बैंच न होने के कारण लोगों को शिमला के चक्कर लगाने पर मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि सुक्खू पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपनी व अपनी धर्मपत्नी की पेंशन को सुनिश्चित कर लिया है।

परंतु आप व्यवस्था परिवर्तन को लेकर आए थे, यह कैसा व्यवस्था परिवर्तन है, जो आपने स्टेट फॉरवार्ड ही धर्मशाला में हाई कोर्ट की सर्किट बेंच को लेकर सीधा मना कर दिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की सुक्खू सरकार जनहित फैसले लेने से पीछे हट रही है। सरकार नहीं चाहती कि धर्मशाला में हाई कोर्ट की सर्किट बेंच स्थापित हो सके।

विश्व चक्षु ने कहा कि अगर धर्मशाला में सर्किट बैंच खुलता है, तो वकीलों सहित आम लोगों को न्याय के लिए बड़ी राहत मिलेगी, और शिमला दौड़-दौड़ाई से निजात मिलेगी।

साथ ही कर्मचारियों को भी न्याय पाने के लिए शिमला नहीं जाना पड़ेगा और उनके भी समय की बचत होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुददे पर अपनी मानसिक मंशा स्पष्ट करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि धर्मशाला में हाई कोर्ट के सर्किट बैंच की स्थापना होने से कांगड़ा-चंबा, ऊना, मंडी व हमीरपुर सहित आधे हिमाचल के लोगों को सुविधा मिल सकेगी, परंतु मुख्यमंत्री की सोच से लगता है कि वे इसके पक्षधर में नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि जबसे प्रदेश में सुक्खू सरकार बनी है वे जनता की एक भी मांग को पूरा नहीं कर पाई है। अगर मुख्यमंत्री निर्णय लेने में खुद को कमज़ोर मान रहे हैं तो उन्हें अपने पद से हस्तीफा दे देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कांगड़ा-चंबा, ऊना, मंडी व हमीरपुर के बहुत से ऐसे लोगों हैं जो इंसाफ पाने के लिए शिमला नहीं पहुंच पाते हैं तथा उन्हें समझोते करने को मजबूर होना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गरीब लोगों की मांगों को ठुकराने में लगी हुई है। उन्होंने सरकार से अग्रह किया है कि धर्मशाला में हाईकोर्ट की सर्किट बेंच खोलें तथा न नुकर करके वकीलों को धरने-प्रदर्शन करने के लिए मज़बूर न करे।

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