धर्मशाला, राजीव जस्वाल
जंगल में एक चरवाहे की 14 भेड़ बकरियां अज्ञात बीमारी से मर गई है। अन्य भी कुछ बीमार चल रही हैं, ऐसे में चरवाहा जंगल से कई किलोमीटर पैदल चलकर दाड़ी में पशु चिकित्सालय पहुंच गया है। यहां पहुंचे भेड़पालक ने चिकित्सक को सारी बात बताई है। चिकित्सीय टीम मरी हुई भेड़ों का पोस्टमार्टम करेगी तभी सही से पता चल सकेगा कि भेड़ बकरियां किस बीमारी से मरी हैं।
वहीं, इसी तरह से पहले इसी जंगल में 100 से ज्यादा भेड़ बकरियां अज्ञात बीमारी से अन्य चरवाहे की मर चुकी है। ऐसी ही घटना त्रियूंड में हुई थी वहां पर भी ज्यादा संख्या में भेड़ बकरियां मरी थी। पोलीक्लीनिक शाहपुर की टीम ने इनके पोस्टमार्टम किए थे।
भेड़पालक जर्म सिंह ने बताया कि भेड़-बकरियां जंगल में थातरी से आठ किलोमीटर दूर कसलैहड़ नाले के पास चराने के लिए रखी हैं। लेकिन 14 भेड़-बकरियां अज्ञात बीमारी से मर गई है। कुछ अन्य और बीमार हैं। इस लिए वह पशु चिकित्सालय के पास पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि उनका काफी नुकसान हो गया है। अन्य भी बीमारी के कारण न मर जाएं इस लिए चिकित्सालय पहुंचे हैं।
यहां पर पशु चिकित्सक को साथी स्थिति बताई है। चिकित्सक ने पहले भेड़ बकरियों का पोस्टमार्टम करने की बात कही है। पोस्टमार्टम से ही पता चल सकेगा कि मौत के क्या कारण हैं। उन्होंने प्रशासन से आर्थिक सहायता की गुहार लगाी है। जर्म सिंह मुख्य रूप से भरमौर के रहने वाले हैं और यह नगरी में भी रहते हैं।
यह बोलीं पशु चिकित्सक
डा़. शालिका शर्मा ने बताया कि भेड़पालक की भेड़-बकरियां अज्ञात बीमारी से मरी हैं ऐसे भेड़पालक ने बताया है। उन्होंने बताया कि भेड़-बकरियों का पोस्टमार्टम किया जाएगा उसके बाद ही पता चलेगा कि किस कारण से मौत हुई हैं। हालांकि बीते दिनों भी कुछ भेड़ बकरियां इसी क्षेत्र में मरी थी तो उनकी मौत में कोई विशेष संक्रमण नहीं पाया गया था। वह सिर्फ एक तरह का सामान्य नीमोनिया था। नीमोनिया के गंभीर लक्षण नहीं है।
उन्होंने बताया कि पूर्व में हुई घटना से संज्ञान लेते हुए भेड़-बकरियों में जरूरी टीकाकरण भी करवाया गया था। अब चरवाहे की भेड़-बकरियों का कल पोस्टमार्टम किया जाएगा उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है कि किस बीमारी से यह मरी हैं। सवाल के जवाब में बताया कि बीमारी का कारण बदला मौसम भी हो सकता है।