हिमखबर डेस्क
राजधानी शिमला के एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर समेत तीन टीचरों पर आठ साल के दलित लड़के पर कथित रूप से बार-बार हमला करने और उसकी पैंट में बिच्छू रखने का केस दर्ज किया गया है। पुलिस में दी गई शिकायत में, लड़के के पिता ने हेडमास्टर देवेंद्र और टीचरों बाबू राम और कृतिका ठाकुर पर आरोप लगाया है कि वे लगभग एक साल से उसके बेटे के साथ अक्सर मारपीट करते थे। बच्चा शिमला जिले के रोहड़ू सब-डिवीजन में एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में क्लास 1 का छात्र है।
क्या है आरोप?
शिकायतकर्ता ने कहा कि, “लगातार पिटाई से बच्चे के कान से खून बहने लगा और उसके कान का पर्दा खराब हो गया।टीचर उसके बेटे को स्कूल के टॉयलेट में ले गए, जहां उन्होंने उसकी पैंट में बिच्छू रख दिया।”
3 सरकारी स्कूल के टीचर पर केस दर्ज
शिकायत के बाद, पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 127(2) (गलत तरीके से कैद करना), 115(2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 351(2) (आपराधिक धमकी), 3(5) (एक ही इरादे से आपराधिक काम करना) और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत बच्चे के साथ क्रूरता के तहत मामला दर्ज किया है।
इसके साथ ही टीचरों पर SC/ST (अत्याचार रोकथाम) एक्ट की धाराओं के तहत भी आरोप लगाए गए हैं, जो जबरन कपड़े उतारने या इंसानी इज्जत के खिलाफ इसी तरह के काम करने और अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के खिलाफ अपराध से जुड़ी हैं।
बच्चे के पिता के मुताबिक, टीचरों ने लड़के को धमकाते हुए कहा कि अगर उसने घर पर शिकायत की, तो वे उसे गिरफ्तार कर लेंगे। वहीं, पुलिस ने कहा है कि, जांच किसी गजेटेड ऑफिसर से करवाई जाए या नहीं, इस बारे में निर्देश के लिए सीनियर्स को एक मैसेज भेजा जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
बच्चे के पिता ने कहा कि, 30 अक्टूबर को हेडमास्टर ने कथित तौर पर बच्चे को स्कूल से निकालने की धमकी दी थी।उन्होंने कहा कि अगर यह मामला पब्लिक हुआ तो शिकायत करने वाले के परिवार को गंभीर नतीजे भुगतने होंगे और उन्हें धमकी दी, “हम तुम्हें जला देंगे।” लड़के के पिता को यह भी चेतावनी दी गई कि वे पुलिस में शिकायत न करें या इस घटना के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट न करें, वरना उन्हें “अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।”
शिकायत करने वाले ने यह भी आरोप लगाया कि कृतिका ठाकुर का पति नीतीश ठाकुर पिछले एक साल से उसकी जगह स्कूल में गैर-कानूनी तरीके से स्टूडेंट्स को पढ़ा रहा है। उन्होंने स्कूल में टीचरों पर जाति के आधार पर भेदभाव करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, खाने के दौरान नेपाली और हरिजन स्टूडेंट्स को राजपूत स्टूडेंट्स से अलग बैठाया जाता था।

