व्यूरो रिपोर्ट
ज्वालाजी में श्रद्धालुओं को पर्ची सिस्टम से दर्शन करवाए जा रहे हैं। मंदिर में सुबह से ही माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु लाइनों में लगे रहे। शक्तिपीठ के कपाट सुबह करीब 6:00 बजे खुले और रात 10:00 बजे तक दर्शन करवाए जाएंगे। न तो हवन-यज्ञ होंगे, न प्रसाद ले जाने और वितरित करने की इजाजत है। श्रद्धालुओं को एलईडी स्क्रीन पर आरती दिखाने की व्यवस्था की गई है।
चामुंडा नंदीकेश्वर धाम में श्रद्धालुओं ने सुबह 500 बजे से एसओपी के तहत मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंस बनाकर दर्शन किए। घंटी बजाने पर प्रतिबंध है। लंगरों पर भी रोक है। वहीं,बज्रेश्वरी मंदिर में श्रद्धालुओं ने मंदिर के गर्भ गृह में जाकर माता के दर्शन किए।
श्री नयनादेवी मंदिर के कपाट तड़के 4:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुले रखने का फैसला लिया गया है। अगर श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा होती है तो मंदिर के कपाट तीन घंटे ही बंद रहेंगे। कोरोना के बीच श्री नयनादेवी में सुबह से भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने पहुंचे।
चिंतपूर्णी मंदिर में दोपहर 12 से 1230 बजे तक माता को भोग लगाने के लिए मंदिर बंद रखने का फैसला लिया गया है। रात 10 बजे कपाट बंद कर दिए जाएंगे। बता दें, चैत्र नवरात्रों में हिमाचल के मंदिर और शक्तिपीठ खुले रखने का फैसला लिया गया हैैै। हालांकि, सरकार ने धार्मिक स्थलों या आसपास किसी भी तरह के कीर्तन, जागरण या जगराते पर पूरी तरह से रोक है।
धार्मिक स्थलों से दूर ऐसे कार्यक्रम करने हैं तो उसके लिए मास्क, सैनिटाइजर व दो गज की दूरी के नियम के अलावा जिला प्रशासन से मंजूरी व कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करना होगा। इसमें भी बंद क्षेत्र में अधिकतम 50 लोगों और खुले स्थल पर अधिकतम 200 लोगों की ही मौजूदगी हो सकेगी। वहीं, शूलिनी समेत कई मंदिरों में घंटी बजाने पर रोक है।