गणेश चतुर्थी: इस दिन देख लिया चांद तो लगेगा कलंक, अगर भूल हो जाए तो करें ये उपाय

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दस दिन रहेगी गणेशोत्सव की धूम, छह सितंबर को होगा समापन।

हिमखबर डेस्क 

भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि 26 अगस्त दोपहर एक बजकर 55 मिनट से शुरू हुई और इसका समापन 27 अगस्त दोपहर तीन बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त 2025 बुधवार को मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी को कलंक चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

शाहपुर के ज्योतिषी पंडित आचार्य अमित कुमार शर्मा ने बताया कि इसी दिन गणेश स्थापना की जाएगी। गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है, जो इस साल छह सितंबर को पड़ रही है।

दस दिन पूजन के बाद भक्त गणपति से अगले वर्ष जल्दी आने की प्रार्थना करते हुए प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। उन्होंने बताया कि यदि पहले दिन सायंकाल से चतुर्थी तिथि की व्याप्ति हो जाए अर्थात तृतीय में चंद्रोदय होकर चतुर्थी तिथि व्याप्ति तक चंद्र दर्शन हो तो चंद्र दर्शन का दोष पहले दिन होगा। इस हिसाब से 26 अगस्त को चंद्र दर्शन करना निषेध होगा।

चतुर्थी के शुभ योग

इस बार गणेश चतुर्थी का दिन बेहद खास है। इस साल गणेश चतुर्थी की शुरुआत बुधवार से हो रही है, जिससे बहुत शुभ माना जा रहा है। इसक साथ ही 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर शुभ योग, शुक्ल योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का संयोग रहेगा। इसके अलावा हस्त नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र भी रहेगा।

गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त

भगवान गणेश की स्थापना के लिए मध्याह्न काल सबसे उत्तम माना गया है, क्योंकि मान्यता है कि इसी समय गणपति का जन्म हुआ था। 27 अगस्त 2025 को मध्याह्न काल में गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर पांच मिनट से लेकर दोपहर एक बजकर 40 मिनट तक रहेगा।

मूर्ति स्थापना की विधि

सबसे पहले एक साफ चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद ओम गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करते हुए गणेश का स्मरण करें।

मूर्ति को पंचामृत से स्नान करवाकर नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं। गणेश को मोदक, लड्डू, दूर्वा, लाल फूल और सिंदूर अर्पित करें। अंत में पूरे परिवार के साथ आरती करें और भक्तिभाव से पूजन संपन्न करें।

चंद्रमा दिख जाए तो क्या करें?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर इस दिन भूल से भी चंद्रमा दिख जाए, तो “स्यमंतक मणि” की कथा का स्मरण करना चाहिए और यह मंत्र जप करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप से चंद्र दर्शन से लगने वाला दोष दूर हो सकता है।

“सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।               सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥”

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