भारतीय महिला हॉकी टीम के दरवाजे पर सिरमौर की दस्तक, किसान पिता की बेटी की उड़ान

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सिरमौर – नरेश कुमार राधे

हिमाचल प्रदेश के गिरिपार क्षेत्र की लड़कियां कबड्डी में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन यदि हॉकी में भारतीय टीम में किसी गोलकीपर के तौर पर शामिल होती हैं, तो यह एक असाधारण उपलब्धि होगी।

25 वर्षीय महिमा पुंडीर, हिमाचल प्रदेश के इतिहास की एकमात्र ऐसी गोलकीपर है, जिसका चयन सीनियर महिला इंडिया नेशनल हॉकी कैंप के लिए हुआ है।

फिलहाल, टीम के गोलकीपर पद के लिए देशभर से 6 लड़कियों का चयन हुआ है, जिसमें महिमा को शीर्ष स्थान हासिल है।

आमतौर पर हॉकी फेडरेशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए 2 गोलकीपरों का चयन किया जाता है, जबकि शेष खिलाड़ियों को भी तैयारियों के लिए टीम के साथ जोड़ा जाता है। महिमा की 5 फुट 7 इंच की ऊंचाई भी उनके लिए एक अतिरिक्त सकारात्मक पहलू साबित हो सकती है।

दुगाना गांव की होनहार लड़की ने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। खेलों के क्षेत्र में वैसे तो क्षेत्र से कई युवतियां आगे बढ़ चुकी हैं, लेकिन हॉकी में इलाके की यह पहली बड़ी उपलब्धि है और वह भी गोलकीपर के तौर पर। यह सफलता कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे क्षेत्र की अन्य लड़कियों को भी प्रेरणा मिलेगी।

सिरमौर की बेटी सीता गोसाई भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रह चुकी हैं और जिले से अर्जुन अवार्ड प्राप्त करने वाली एकमात्र महिला हैं। सीता गोसाई के बाद लगभग ढाई दशक बाद सिरमौर की किसी बेटी ने महिला हॉकी टीम के प्रवेश द्वार पर दस्तक दी है।

माजरा में एस्ट्रोटर्फ बिछने के बाद यह पहली बार हुआ है कि जिले से किसी खिलाड़ी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। यह उपलब्धि क्षेत्र में हॉकी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण संकेत है।

महिमा पुंडीर का बेंगलुरु में 23 से 30 मार्च तक चलने वाले सीनियर महिला इंडिया नेशनल हॉकी कैंप के लिए चयन हुआ है। इस होनहार खिलाड़ी ने अपने खेल करियर में सदैव डटकर मेहनत की है और कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। छोटी उम्र में ही सीनियर महिला इंडिया नेशनल हॉकी कैंप के लिए चयनित होना एक बड़ी उपलब्धि है।

दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति से जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है, लेकिन कठिन परिश्रम के बावजूद कभी-कभी सफलता नहीं मिलने पर मनोबल गिर जाता है। ऐसे में अपनों का संबल और प्रोत्साहन करियर में बदलाव ला सकता है। महिमा के करियर में भी कुछ ऐसा ही हुआ।

महिमा पुंडीर ने बताया कि उन्होंने हॉकी खेल में हमेशा कड़ी मेहनत की है। 2024 में महाराष्ट्र के पुणे में हुए नेशनल हॉकी टूर्नामेंट में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया था और इंडिया कैंप में चयन की पूरी उम्मीद थी। लेकिन चयन न होने से वह हताश हो गईं और एक समय हॉकी छोड़ने का विचार भी उनके मन में आया।

इस विषय पर निजी स्कूल में बड़ी बहन व शारीरिक शिक्षिका कमलेश तोमर और जिला कबड्डी संघ महासचिव ग्यार सिंह नेगी से चर्चा की। जिन्होंने हार न मानने की प्रेरणा दी।

पूरे परिवार के सहयोग से महिमा को देश की बेहतरीन हॉकी अकादमी, ग्वालियर में प्रवेश दिलवाया। वहां उन्होंने खेल की बारीकियां सीखी और बेहतर प्रदर्शन करने का उत्साह बढ़ता गया। इसके बाद सफलता लगातार उनके कदम चूमने लगी।

उनकी मेहनत और संघर्ष का सुखद परिणाम यह रहा कि बेहतर खेल के दम पर उन्होंने पंजाब के अमृतसर में आयोजित ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट में आईटीएम यूनिवर्सिटी मध्य प्रदेश, की ओर से खेलते हुए रजत पदक जीता।

यूनिवर्सिटी खेलों में इंडिया चयन के बाद अब उनका नेशनल कैंप के लिए भी चयन हो गया है। महिमा ने इस सफलता का श्रेय अपने कोच चंद्रशेखर, परमजीत बरार, अजीत, पंकज, तथा अपने परिवार और बहनों के सहयोग को दिया है।

गिरिपार के ग्राम दुगाना की होनहार हॉकी खिलाड़ी महिमा पुंडीर ने कक्षा 8वीं से 12वीं तक हॉकी छात्रावास माजरा से खेलते हुए अपने खेल करियर की नींव रखी। बतौर गोलकीपर, उन्होंने अब तक 9 बार नेशनल हॉकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है।

अपनी शानदार प्रतिभा के दम पर वर्ष 2019 में पहली बार महिला इंडिया कैंप में जगह बनाई। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते प्रतियोगिता प्रभावित हुईं, लेकिन महिमा ने अपने खेल को जारी रखा।

वर्ष 2020 से 2022 तक, उन्होंने चंडीगढ़ में अभ्यास जारी रखा। इस दौरान उन्होंने केरल (2020), झांसी (2021), भोपाल (2022), काकीनाडा (2023) और पुणे (2024) में आयोजित नेशनल हॉकी चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। 2025 का सीनियर नेशनल पंचकूला में खेला जिसकी बदौलत इंडियन कैंप तक पहुंची है।

महिमा पुंडीर का कहना है कि आज भी जब वह कोई गलती करती हैं, तो अपने कोच की डांट उन्हें याद आ जाती है। लेकिन उन्होंने यह भी सीखा है कि यदि जीवन में आगे बढ़ना है, तो कोच, गुरु और माता-पिता का सम्मान बेहद जरूरी है।

हाल ही में, 21 से 26 फरवरी 2025 को आयोजित ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी हॉकी चैंपियनशिप (अमृतसर, पंजाब) में उन्होंने आईटीएम यूनिवर्सिटी, मध्य प्रदेश की ओर से खेलते हुए रजत पदक जीता। इसके अलावा, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए भी उनका चयन हो चुका है।

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