सहयोग स्कूल के खिलाड़ियों ने जीते तीन स्वर्ण और चार राज्य पदक, मोदी सरकार कर रही है इनामो की बौछार।
मंडी – अजय सूर्या
व्यक्ति शरीर से अक्षम नहीं होता है वह मन से अक्षम और सक्षम होता है। सहयोग स्कूल के दिव्यांग बच्चों ने दिखा दिया कि वह मन से मजबूत और सक्षम हैं। इसी का नतीजा है कि मंडी के खिलाड़ियों ने तीन स्वर्ण और चार रजत पदक जीत लाए।
हाल ही में इटली में अंतराष्ट्रीय स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड विंटर खेलों का आयोजन हुआ जिसमें भारत भर से खिलाड़ियों ने भाग लिया। हिमाचल के खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए आठ स्वर्ण पदक जीते। खुशी की बात है कि आठ स्वर्ण पदकों में से तीन मंडी जिला के खिलाड़ियों ने जीते हैं।
नागचला में स्थित सहयोग संस्था द्वारा उनके पहुंचने पर विशेष समारोह का आयोजन किया। जिसमें स्पेशल ओलंपिक भारत के सदस्यों द्वारा ढोल नगाड़ों व हार पहनकर विजेता खिलाड़ियों का स्वागत व सम्मान किया। कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष स्पेशल ओलंपिक भारत जगदीश राणा ने इन दिव्यांग बच्चियों को शुभकामनाएं दी।
उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर होते हुए उपलब्धियां हासिल नहीं कर पाते हैं, यहीं इन बच्चों के हौसलों ने बड़ी उपलब्धि हासिल कर देश भर में नाम रोशन किया है। उन्होंने इस का श्रेय मालिका नड्डा को दिया उन्हीं के प्रयासों से यह संभव हो सका है। यह कोई कुछ दिनों में नहीं हुआ है इसके पीछे पूरी टीम और शिक्षकों की सालों की मेहनत लगीं है। प्रभारी व राष्ट्रीय कोच गीता पुरोहित बच्चों की इस उपलब्धि पर बोलते हुए भावुक हो गई।
भारती ने दो स्वर्ण पदक जीते, निर्मला ने एक स्वर्ण पदक व एक रजत पदक जीता तथा राधा को तीन रजत पदक मिले। निर्मला व राधा ने अल्पाइन स्कीइंग तथा भारती ने स्नो बोर्ड खेल में हिस्सा लिया। गीता पुरोहित ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एक स्वर्ण पदक जीतने पर बीस लाख रुपए पुरस्कार दिया जाएगा।
रजत पदक पर 14 लाख रुपए की राशि इनाम में दी जाएगी। इस प्रकार से भारती को चालीस लाख रुपए, निर्मला को 34 लाख रुपए तथा तीन रजत पदक विजेता राधा को 42 लाख रुपए इनाम मिलेंगे।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर स्पेशल ओलंपिक भारत के जिला मंडी के पदाधिकारी सहयोग संस्था के संस्थापक ब्रिज नंदन शर्मा, संचालक एन के शर्मा, शरीता हांडा सह सचिव, अलकनंदा हांडा पार्षद, डॉक्टर नीलम ठाकुर, डॉक्टर रजनी ठाकुर, शंकर सैनी, ग्राम पंचायत नागचला की प्रधान आभा जम्वाल, वीरेंद्र ठाकुर तथा बच्चों के अभिभावक, सहयोग स्कूल के अध्यापक, स्टाफ, स्थानीय जनता शामिल रहे।